वन मंत्री श्री उमंग सिंघार ने अफ्रीकी चीता भारत लाने के संबंध में प्राप्त अनुमति का स्वागत किया है। श्री सिंघार चीता पुन: स्थापना के लिये गठित कमेटी की बैठक में चीता लाने से पहले की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा करेंगे। मंत्री के निर्देश पर नौरादेही के जंगलों में ग्रास लैण्ड विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत और मध्यप्रदेश में पहले चीते पाये जाते थे, जो अब समाप्तप्राय हो चुके हैं। केन्द्र सरकार ने चीतों की पुन: स्थापना के लिये मध्यप्रदेश के कूनो-पालपुर और नौरादेही अभयारण्य के साथ राजस्थान के अभयारण्य को चुना था। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए एक आवेदन दायर किया था कि दुर्लभ चीता देश में लगभग विलुप्ति की कगार पर है। इसलिये अफ्रीका के नामीबिया से चीता लाने की अनुमति दी जाये। एनटीसीए ने चीतों के लिये देश में सबसे अनुकूल वन के रूप में कूनो-पालपुर और नौरादेही का चयन किया था। एनटीसीए चीता मंगवाने से पहले क्षेत्र का अध्ययन करेगी।