चीन ने तीन अमेरिकी अखबारों के पत्रकारों को देश से बाहर कर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट और वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकारों को 10 दिनों के भीतर मीडिया पास वापस करने का आदेश दिया है। मंत्रालय ने चीन में उनके संचालन के बारे में जानकारी की भी मांग की। अमेरिका में "चीनी मीडिया एजेंसियों पर अनुचित प्रतिबंध" के जवाब में चीन ने ये कदम उठाया है। चीन की ये कार्रवाई अखबारों के पत्रकारों को हांगकांग और मकाऊ के अर्ध-स्वायत्त क्षेत्रों में काम करने से भी रोकती है, जहां प्रेस को अधिक स्वतंत्रता है। इस महीने की शुरुआत में, ट्रम्प प्रशासन ने उन चीनी नागरिकों की संख्या पर लिमित तय कर दी है, जो अमेरिका में पत्रकारों के रूप में काम कर सकते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका ने जो किया है वह विशेष रूप से चीनी मीडिया संगठनों को टारगेट करने के लिए था। वैचारिक पूर्वाग्रह और कोल्ड वार मानसिकता के कारण ये सब किया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बीजिंग से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया और इस कदम को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया। पोम्पियो ने कहा कि 'मुझे चीन के फैसेल पर दुख है। इससे दुनिया में स्वतंत्र पत्रकारिता के मकसद को धक्का लगेगा। वैश्विक संकट के दौर में चीन के लोगों को अधिक सूचनाएं और ज्यादा पारदर्शिता का जरूरत है ताकि उनकी जान बच सके।' उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उम्मीद है कि वो पुनर्विचार करेंगे।'
देश का ऑटोमोवाइल सेक्टर जल्द ही सवसे वड़े हव के रूम में अपनी पहचान वनाएगा। यह दावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में भारत का ऑटोमोवाइल क्षेत्र दुनिया में पहले नंवर पर पहुंच जाएगा।