कोरोनावायरस के प्रकोप को देखते हुए फिच सॉल्यूशंस ने बुधवार को कहा कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई) वह उम्मीद करता है कि 175 बेसिक प्वाइंट की कटौती कर सकता है ।फिच ने चालू वित्त वर्ष में 4.9% के अपने अनुमान से 2020-21 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि को 5.4 प्रतिशत तक ले जाने का अनुमान लगाया है। फिच ने कहा है कि यह पॉलिसी, पुनर्खरीद (रेपो) की दर क्रमशः 3.40 प्रतिशत और 3.00 प्रतिशत होगी, जो वर्तमान में 5.15 प्रतिशत और 4.75 प्रतिशत है। फिच सॉल्यूशंस के अनुसार आने वाले महीनों में तेल की कीमत की जंग के कारण खाद्य आपूर्ति में सुधार से खाद्य महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि सर्दियों (रबी) की फसल फरवरी से खिलाती है। इससे आर.बी.आई को 2-6 फीसदी के निचले बैंड की तरफ वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले मुद्रास्फीति को कम करने से केंद्रीय बैंक को मौद्रिक नीति में काफी आसानी होगी। बता दें नए कोरोनावायरस से जुड़ी दुनिया भर में मौतों की संख्या लगभग 8,000 तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश के विभिन्न हिस्सों से 10 नए मामलों की रिपोर्ट के साथ, बुधवार को भारत में उपन्यास कोरोनावायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 147 हो गई है। फिच सॉल्यूशंस ने कहा कि भारत के शहरों में उच्च जनसंख्या घनत्व और विशेष रूप से इसकी बड़ी ग्रामीण आबादी के लिए स्वास्थ्य देखभाल पहुंच में वृद्धि की संभावना है। फिच सॉल्यूशंस ने भारत के मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित करते हुए 2020-21 के वित्तीय वर्ष में औसतन 3 प्रतिशत का अनुमान लगाया जो पिछले अनुमान की तुलना में 3.5 प्रतिशत था। फिच सॉल्यूशंस के अनुसार, गिरावट मुख्य रूप से 8 मार्च को रूस और सऊदी अरब द्वारा शुरू किए गए मूल्य युद्ध के कारण वैश्विक तेल की कीमतों में 50 डॉलर प्रति बैरल से लगभग 30 डॉलर तक तेज गिरावट है। कोविद -19 की वजह से मंदी से निपटने के लिए, प्रमुख वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने पहले ही आपातकालीन बैठकें की हैं और खड़ी मौद्रिक उपायों की घोषणा की है।
देश का ऑटोमोवाइल सेक्टर जल्द ही सवसे वड़े हव के रूम में अपनी पहचान वनाएगा। यह दावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया है। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में भारत का ऑटोमोवाइल क्षेत्र दुनिया में पहले नंवर पर पहुंच जाएगा।